Sunday, February 1, 2009

Laugh and the world laughs along

प्रिय मित्रों ,
पेश है मेरी नई रचना .........


"चलते चलते भी हम हँसते
रुक रुक कर हम फ़िर से हँसते,
जीवन की इस भाग दौड़ में
खून पसीना बहा बहाकर
हाथ जोड़ते पैर पकड़ते
तान ये सीना फ़िर से हँसते,
कौन है असली कौन है नकली
फर्क क्या इससे हमको पड़ता,
आज है कोई और कोई कल
साथ में इनके चले चला चल ,
जो भी है बस आज ही है सब
जो होगा कल देखेंगे तब ,
कल किसने देखा है यारा
कभी मैं जीता कभी मैं हारा,
इक हँसी है मेरी जो है अपनी
आज भी है और रहेगी कल तक
चलते फिरते हँसी बांटते
साथ साथ हम चलेंगे जब तक
साथ में है ये दुनिया अपने
सदा से है और रहेगी तब तक "

7 comments:

Aashish said...

Wah Wah!

gunvant jain said...

nice one !!

Anuj Choudhary said...

Just read somewhere.. "People worry so much about tomorrow, that they forget that there is a today."

Unknown said...

quite optimistic...good one!!!

vaneet said...

sahi hai..gilly aur gilly ki gehraai..hum to fida ho gaye:)

Abhinav said...

nice

उन्मुक्त said...

अच्छी कविता है हिन्दी में और भी लिखिये।

यदि हिन्दी में ही लिखने की सोचें तो अपने चिट्ठे को हिन्दी फीड एग्रगेटर के साथ पंजीकृत करा लें। इनकी सूची यहां है।