This one I composed long back on 2nd feb 2003,after the sad demise of Sri Harivansh Rai Bachchhan. Though,I hadnt even read much of his composed literature by then,but I knew how great he was.I know its not very good..(or may be not even good enough),but that was just the beginning of my writings....
वो थे कितने महान,
पाया उन्होंने कितना सम्मान,
कमाया सहित्य में कितना नाम,
शायद ज़रूरत थी इश्वर को उनकी,
बुला लिया उन्हें बैकुंठ धाम ।।
उनकी कविताओं के मुख्य विषय
थे उल्लास मस्ती और आनंद,
थी ऐसी उनकी कवितायें,
प्रफ़ुल्लित हो मन मंद-मंद।।
थे मस्त दीवाने और आशवादी,
रचित करी मधुबाला मधुशाला।
प्रसन्न और आनंदित रहकर
पीते थे मस्ती का प्याला।।
चले गये छोड़कर अपनी यादें,
चलो याद करें हम उन्हें आज।
उनकी कविताओं का रंग बढ़ा दें
भरकर उनमें संगीत साज़।।
ईश्वर ने उन्हे बुलाया है,
उनकी मदमस्त कवितायें सुनना चाहा होगा।
उनकी मादक कवितायें सुनकर स्वयं
ईश्वर ने मस्त सपने बुनना चाहा होगा।।
2 comments:
hey man, thanks for visiting my blog
same to you man...
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