वो कानों की बाली
वो जुल्फों की सिलवट ,
चमकते इस चेहरे की
हँसी ये मुस्कराहट .......
खूबसूरत इस सीरत को
और क्या मैं कहूं ?
जी भर के यूँ ही बस देखता रहूँ ....
ख्यालों में तेरे यूँ डूबा रहूँ
जागा रहूँ या की सोया रहूँ......
तेरे इश्क में ये साँसें , बस थमती रहें
आहों पे आहें निकलती रहें ....
जो है साथ तेरा, खुशी संग है,
जिंदगी के वो सारे हर इक रंग है ॥
1 comment:
to be critical
I wasn't not able to categroise it under any popular category of poems.
But the content being original and poem having a flow although its a smaal one is to apraised off
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