Hi everyone, continuing in my series of hindi poems,here is a new one....hope you like it.I took me around one and half hour to make it.Dont rush through it, take your time to read.
हर तरफ़ सब हँस रहे ,इक मैं ही आँसुओं का मारा हूँ,
हर तरफ़ सब बस रहे, मैं ही इक आवारा हूँ।
चल रहे सब साथ में, डाले हाथों मे हाथ,
छटपटाता और तरसता, मैं ही इक बेचारा हूँ।
दिल मे मेरे क्या है, ये कोई क्यूँ पहचानेगा,
सब दिखावा कर रहे, ये दर्द क्या कोई जानेगा।
हर किसी के साथ मे कोई ना कोई चल रहा,
चुपचाप हाथ बाँधकर राह पर हूँ मैं खड़ा
अकेलेपन का यही गम, मुझे मन ही मन खाये जाता,
डराते हुए इस मन को मेरे, सँकरा कर रुलाये जाता,
ढूँढता हूँ मैं भी हँसते इंसानों को इस भँवर में,
कहीं तो कोई हो जो गले लगकर, दिल की दो बातें करले।
नकली हँसी के मायाजाल में, मुझसे नहीं अब हँसा जाता,
देखकर दूसरों की मुस्कुराहट, हम भी मुस्कुरा देते हैं, पल दो पल के लिये।
इक वक्त था जब हम भी दिल से हँसते थे,
और हँसाते दूसरों को.....
पर हमें क्या मालूम था कि वो हैं हमीं पर हँस रहे।
अरसा बीत गया अब तो, ऐ मेरे दिल!
दिल से मुझको हँसे हुए....
बोल,तुझे क्या है लगता ??क्या ये सब नकली नहीं??
तब ये मेरा दिल है बोला मुझसे....
क्यूँ खुशी को ढूँढता तू, है अपने चारों तरफ़,
ये तो बसती ही है तुझमे, एक कस्तूरी के जैसे,
क्यूँ आशा करता है कि, हाथ तेरा कोई थाम ले,
क्यूँ ना तू अपने ही हाँथ, विश्वास से ही थाम लेता,
झाँक ले इन सब के अंदर, ये सब भी भरे हैं दर्द से।
रोना और डरना यहाँ, किसी मुश्किल का हल नहीं,
कर भरोसा खुद पे तू, ये मुश्किलें इतनी भी मुश्किल नहीं....
राह चलता जा ऐ रही, जी ले हर पल इस धरा पर,
कर्म करता जा तू अपना, कि तेरी भी कीमत कम ना हो,
कर ले तन्हाई से नाता, कि अबकि कोई गम ना हो।
आया अकेला इस ज़मीं पर, जाना अकेले है यहाँ से,
फ़िर क्या गम है तुझको यारो, ये पल अकेले जीने मे ............
To live is not enough, the trick is to live with YOURSELF................
13 comments:
godmax likha hai dost.....keep on the good work...
Kya baat hai gilli bhai... Aapke yeh ada toh abhi dikhi
wah bhai, is kavita mein tum ne, sachchayi ko bahut saaf suthre dhang se likha hai. in baaton k itne saralta se likhne ki kala khoob aati hai tumko.
"कर ले तन्हाई से नाता, कि अबकि कोई गम ना हो"
yeh pankti dil ko chhoo gayi
---harsh
Tum hamare nahin toh kya gum hai,
hum tumhare toh hain, yeh kya gum hain....
Bahut achhi kavita hai. Ab 50-60 aisi aur likhdo, phir jaake shreesh chaudhury ne milna humare department mein...
Woh tumhari publish karane mein madad kar denge.
good one moral boosting......
par sale jo kaha tha wo to tujhe karna nahin hai.....
neways, hope u'll atleast follow ur own writtn poem....
dude pata naihn tha ki mere aas paas aisa writer bhi baithe hai...
seriously man too good!
stud hai yaar like it yaar .
pradyot,hula,harsh,aashish,gunnu,and bachchha...
Thanks a lot to all of you..
after all ...appreciation is what makes a writed happy..
thanks again
today i read this after a long time...and i really feel proud of myself to have created this poem....
i love it....
this one really touched the heart.....we have a great poet here :)
@statix
so..u have a poet..and u didnt even know yet..
;)
hmmmmmmmm............
so dis is my favo amongst d others dat i have read....
luved it.......
i'll wait 4 my copy in 2015....... dont u dare forget........
well.. I'll call it the Mantra Of Life ...!!! Awesome piece if work !!!
Good poem....reminds me of a quote I read somewhere which said "Loving yourself is the beginning of a lifelong romance"
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